This is my humblest attempt at brazenly copying the great Amrita Pritam's cult poem 'Aj Aakhan Waris Shah Noo'. With all apologies to both the great poets, I proceed to ride on the Oracle Octopus' waves...
अज कहती हूँ Paul Octopus से,
अपने टैंक में से बोलो, 
और भावी भारत की 
हालत का राज़ खोलो | 
इक FIFA की जंग के वस्ते,
तूने बता दी जीत और हार, 
अज सैंकड़ों जंग से झूझते 
वासी, तुम्हे लगाते हैं गुहार...
ऐ सच्चे खिलाडियों के यार, 
सुन लो हम लोगों की पुकार, 
जंगल में लूटें माओ-वादी,
शहरों में मारें आतंक-वादी.
पश्चिम से पूरब, दाख्खिन से उत्तर,  
सीमा के अन्दर, सीमा से बाहर,
सब इंसानियत भूल गए हैं,
राजनीती की होड़ में जुड़ गए हैं |
भ्रष्ट नेता, भ्रष्ट कर्मचारी, 
बढ़ रही हर ओर भूख और बीमारी, 
जलते किसान, तड़पते भिखारी, 
वादे आलीशान, इरादे दुराचारी |
अज सब मनु-राजू बन गए हैं, 
वतन-अमन-ईमान के चोर, 
सलाखों से बहार आने को, 
जो रोज़ लगायें नए जोर |
अब कहती हूँ Paul Octopus से,
अपने टैंक में से बोलो,
और भावी भारत कि 
हालत का राज़ खोलो |
Sunday, August 1, 2010
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