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Sunday, August 1, 2010

Aj Aakhan Paul Octopus Noo

This is my humblest attempt at brazenly copying the great Amrita Pritam's cult poem 'Aj Aakhan Waris Shah Noo'. With all apologies to both the great poets, I proceed to ride on the Oracle Octopus' waves...

अज कहती हूँ Paul Octopus से,
अपने टैंक में से बोलो,
और भावी भारत की
हालत का राज़ खोलो |

इक FIFA की जंग के वस्ते,
तूने बता दी जीत और हार,
अज सैंकड़ों जंग से झूझते 
वासी, तुम्हे लगाते हैं गुहार...

ऐ सच्चे खिलाडियों के यार,
सुन लो हम लोगों की पुकार,
जंगल में लूटें माओ-वादी,
शहरों में मारें आतंक-वादी.

पश्चिम से पूरब, दाख्खिन से उत्तर, 
सीमा के अन्दर, सीमा से बाहर,
सब इंसानियत भूल गए हैं,
राजनीती की होड़ में जुड़ गए हैं |

भ्रष्ट नेता, भ्रष्ट कर्मचारी,
बढ़ रही हर ओर भूख और बीमारी,
जलते किसान, तड़पते भिखारी,
वादे आलीशान, इरादे दुराचारी |

अज सब मनु-राजू बन गए हैं,
वतन-अमन-ईमान के चोर,
सलाखों से बहार आने को,
जो रोज़ लगायें नए जोर |

अब कहती हूँ Paul Octopus से,
अपने टैंक में से बोलो,
और भावी भारत कि
हालत का राज़ खोलो |

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