Search This Blog

Monday, April 19, 2010

Mann Gulmohar

मन गुलमोहर

मेरे मन के गुलमोहर पे झूमी बहार,
प्यार मुझको हुआ है जो ये पहली बार |

उनके चेहरे की बगियन में, खिले दो कमल नयन हैं,
चटक रही मुस्कान की कलियन, कंठ-स्वर सितार सृजन है,
मेरी रग-रग में स्पंदन है, प्रियवर का वंदन है,
उल्लासित क्षण है, प्रणय सुशोभित नव-जीवन है |

उनके ख्यालों में खोयी, मैं हौले-हौले गाऊँ,
उनकी बस इक झलक को, मैं दसियों बहाने बनाऊँ,
मनं की उमंगों को, ख़त की पतंगों में, पल-पल उड़ाऊं,
मिलने की आशा में, चाहत की आभा से, खुद को सजाऊँ |

मेरे मन के गुलमोहर पे झूमी बहार,
प्यार मुझको हुआ है जो ये पहली बार |

No comments:

Post a Comment