काँच के टुकड़े
नशा था या गुरूर, नींद या सुरूर,
था प्रदर्शने-शूर, या मशीनी कसूर,
किसी के यहाँ मातम छाया होगा,
किसी ने लाख शुक्र मनाया होगा,
बयां करते हैं दुर्घटना की दर्दनाक दास्तां,
सड़क पर बिखरे काँच के टुकड़े बेजुबां।
नशा था या गुरूर, नींद या सुरूर,
था प्रदर्शने-शूर, या मशीनी कसूर,
किसी के यहाँ मातम छाया होगा,
किसी ने लाख शुक्र मनाया होगा,
बयां करते हैं दुर्घटना की दर्दनाक दास्तां,
सड़क पर बिखरे काँच के टुकड़े बेजुबां।
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