पलकें बिछाये बैठे हैं
पलकें बिछाये बैठे हैं हम इन्बौक्स के गलीचे पर,
न आया मसेज, न आई मेल, आयीं बस आँखें भर,
चाहत तो बहुत है पहल हम ही कर लें,
अपनी हालत की खबर उनको कर दें,
इक इशारे का मोहताज तो समझदार होता है,
समझाये बिन जो समझे वही दिलदार होता है।
पलकें बिछाये बैठे हैं हम इन्बौक्स के गलीचे पर,
न आया मसेज, न आई मेल, आयीं बस आँखें भर,
चाहत तो बहुत है पहल हम ही कर लें,
अपनी हालत की खबर उनको कर दें,
इक इशारे का मोहताज तो समझदार होता है,
समझाये बिन जो समझे वही दिलदार होता है।
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